अधिक मास का दूसरा सोमवार: सावन के चौथे सोमवार का विशेष महत्व (31 जुलाई 2023)

अधिक मास का दूसरा सोमवार: सावन के चौथे सोमवार का विशेष महत्व (31 जुलाई 2023) - जानें सावन मास में विशेष सोमवार व्रत के महत्वपूर्ण तथ्य और रुद्राभिषेक से जुड़ी रहस्यमयी बातें।

Introduction:

आज है 31 जुलाई 2023 का दिन, जिसे अधिक मास का दूसरा सोमवार और सावन का चौथा सोमवार के रूप में जाना जाएगा। यह सावन माह के अधिकमास में पड़ता है, जिससे इसका महत्व और अधिक बढ़ जाता है। इस विशेष दिन पर भगवान शिव की पूजा करने से भक्त को उनकी कृपा और आशीर्वाद मिलता है। हम जानेंगे कि इस महत्वपूर्ण व्रत का महत्व क्या है और इसे कैसे पूर्ण किया जाए।

अधिक मास का दूसरा सोमवार:

वैदिक ज्योतिष में अधिक मास को ‘मलमास’, ‘पुरुषोत्तम मास’, या ‘अधिक आशाढ़’ के नाम से भी जाना जाता है। इस अधिक मास में सावन के महीने में आने वाले सोमवार का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान शिव के भक्तों को विशेष आनंद का अनुभव होता है और उन्हें शिव आराधना करने का अवसर मिलता है। रुद्राभिषेक करने से भक्त की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और वह धन, समृद्धि, शांति और सुख के साथ आनंदपूर्वक जीवन जीते हैं।

सावन का चौथा सोमवार:

सावन का महीना हिंदू पंचांग के अनुसार शुक्ल पक्ष में आने वाले सोमवार से शुरू होता है। सावन में आने वाले चार सोमवार का विशेष महत्व है, जो सावन के महीने में पाए जाते हैं। इन चार सोमवारों में भगवान शिव के भक्त रुद्राभिषेक करके उनकी कृपा और आशीर्वाद को प्राप्त करते हैं। यह विशेष सोमवार व्रत सावन में भगवान शिव की आराधना के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

शुभ मुहूर्त:

  • रवि योग: सुबह 05:42 से शाम 06:58 तक
  • विष्कुम्भ योग: दोपहर 03:01 से रात 11:04 तक
  • प्रीति योग: 11:04 से 6:52 तक

पूजा विधि:

  • सुबह सूर्योदय से पहले उठें और नित्यक्रमादि से निवृत होकर स्नान करें।
  • साफ वस्त्र धारण करें और भगवान सूर्य को जल चढ़ाने के बाद व्रत का संकल्प लें।
  • घर में पूजा के स्थान को साफ करें और मंदिर में दीपक जलाएं।
  • भगवान शिव का दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल से अभिषेक करें।

ध्यान रखें:

  • शिवलिंग पर हल्दी, सिंदूर, तुलसी दल, कुमकुम, रोली, तिल, लाल रंग के फूल, केतकी या केवड़े के फूल और शंख से जल चढ़ाना वर्जित है।
  • व्रत के समय पूर्ण श्रद्धा और भक्ति के साथ भगवान शिव की पूजा करें।

Conclusion:

आज 31 जुलाई 2023 के दिन अधिक मास का दूसरा सोमवार और सावन का चौथा सोमवार है। यह विशेष मौका है जिसमें भगवान शिव की पूजा विशेष भक्ति और श्रद्धा से की जाती है। भगवान शिव को रुद्राभिषेक करके उनकी कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने का विशेष महत्व है। इस व्रत को ध्यान में रखते हुए भक्तों को आचार्य से सलाह लेकर व्रत को आचारण करने की सलाह दी जाती है।

FAQs:

  1. अधिक मास क्यों होता है?

वेदिक ज्योतिष में विशेष ग्रहणों के कारण अधिक मास शामिल किया जाता है। इससे कैलेंडर में एक अतिरिक्त मास उपस्थित होता है।

  1. रुद्राभिषेक क्या है?

रुद्राभिषेक भगवान शिव को दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल से सम्पन्न करने का रियल एबिषेक है। इससे भगवान शिव के आशीर्वाद का अनुभव होता है।

  1. सावन सोमवार व्रत का महत्व क्या है?

सावन सोमवार व्रत का महत्व भगवान शिव की भक्ति और पूजा में विशेष माना जाता है। इस दिन भगवान शिव को रुद्राभिषेक करने से उनकी कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है।

  1. सावन 2023 में कितने सोमवार हैं?

सावन 2023 में कुल मिलाकर 4 सोमवार हैं।

  1. इस साल श्रावण 2 महीने क्यों है?

वैदिक ज्योतिष में अधिक मास के कारण श्रावण मास में 2 सोमवार हैं। इससे श्रावण मास की अधिक महिमा और उपास्यता बढ़ जाती है।

  1. सावन महीना 2023 की शुरुआत कैसे करें?

सावन महीना 2023 की शुरुआत के लिए सूर्योदय से पहले उठें और भगवान शिव की पूजा और अर्चना करें। व्रत का संकल्प लेकर भगवान शिव को रुद्राभिषेक करें और उनके प्रसाद से भोजन करें।

  1. सावन 2023 के बारे में क्या खास है?

सावन 2023 में अधिक मास के चलते श्रावण मास का दूसरा सोमवार विशेष महत्वपूर्ण है। इसमें भगवान शिव की पूजा के लिए अधिक समय और मौका होता है।

  1. श्रावण के पीछे की कहानी क्या है?

श्रावण के पीछे की कहानी शिवपुराण में उल्लेखित है। इसमें देवी सती की बलिदान की कथा है जिसके बाद भगवान शिव का ताण्डव हुआ था।

  1. सोमवार के व्रत कब शुरू करना चाहिए 2023?

सोमवार के व्रत को सावन माह के अधिकमास में शुरू करना चाहिए। सावन 2023 में यह

Disclaimer:

इस ब्लॉग में प्रस्तुत की गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान के उद्देश्य से है। धार्मिक कार्यों में सुधार के लिए अपने संप्रदाय के अनुसार आचार्य या पंडित से परामर्श लेना उचित होगा।

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