Summary
Horoscope by Date of Birth: Free Birth Chart Analysis by Date of Birth and Time Based on Indian Astrology With Accurate Prediction by Astrology Software.
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Free Horoscope by Date of Birth and Time
Horoscope by Date of Birth
What is Birth Chart?
जन्म कुण्डली (Horoscope) व्यक्ति के जन्म का एक आकाशीय मानचित्र या नक्शा होती है। यह आकाशीय मानचित्र जन्म के समय पूर्वी क्षितिज पर उदयरत राशि को आधार मानकर बनाया जाता है। इस राशि को लग्नराशि (Ascendent) कहा जाता है। जन्म कुण्डली के प्रथम भाव में यह राशि स्थापित की जाती है। इसके पश्चात घड़ी की सूइयों के प्रतिकूल क्रम में अन्य शेष 11 राशियाँ स्थापित कर दी जाती है। इस प्रकार भचक्र की कुल 12 राशियाँ 12 भावों में लिख दी जाती है। अंत में कुण्डली को पूर्ण करने के लिये भाव स्थित राशियों में पंचांग में देखकर जन्म समय के समस्त 9 ग्रह रख दिये जाते हैं। जिस राशि में चन्द्र ग्रह होता है, वह राशि व्यक्ति की जन्म राशि कहलाती है। जन्म | राशि के 9 अक्षरों में से जन्म के समय (Time of Birth) के नक्षत्र के चरणाक्षर के अनुसार व्यक्ति का | नामकरण कर दिया जाता है। स्मरण रहे कि लग्नराशि के आधार पर कुण्डलियों में
राशियों के क्रम बदलते रहते हैं किन्तु भाव सदैव स्थिर रहते हैं। अगले अध्याय सप्तम में भाव परिचय में दो कुण्डलियाँ नं. 19 व 20 देखकर अनुभव करें। – My Horoscope by Date of Birth For Free.
Free Birth Chart Analysis
ज्योतिष में फलादेश की पूर्णता और प्रमाणिकता शुद्ध एवं सही जन्म कुण्डली पर निर्भर होती है। जन्म कुण्डली बनाने के लिये सर्वप्रथम जन्म समय की लग्न ज्ञात करनी होता है। इसके लिये जिस व्यक्ति विशेष की जन्म कुण्डली बनानी हो, उसकी जन्म तिथि,। समय और जन्म स्थान लिख लें। अब आप लग्न ज्ञात कर सकते हैं। – Vedic Astrology Birth Chart (Free Birth Chart Analysis)
Moon, Sun and Sudarshan Horoscope by Date of Birth
उत्तर भारत आधार पर बनी जन्म कुण्डली में जिस राशि में चन्द्र होता है, उसको प्रथम भाव में रखकर चन्द्र कुण्डली बनाई जाती है तथा जिस राशि में सूर्य होता है, उसको || प्रथम भाव में रखकर सूर्य कुण्डली बनाई जाती है। जन्म कुण्डली, चन्द्र कुण्डली और सूर्य कुण्डली तीनों को मिलाकर सुदर्शन कुण्डली बनाई जाती है। पुनः ग्रहस्पष्ट के आधार पर षोडशवर्ग कुण्डलियाँ तैयार की जाती है। आजकल सप्तवर्ग को ही अधिक महत्व दिया जाता है। इनके नाम गृह, होरा, द्रेष्काण, सप्तमांश, नवमांश, द्वादशांश एवं त्रिशांश कुण्डली हैं। इनके आधार पर व्यक्ति के व्यक्तित्व एवं मानसिकता, आचरण व धन सम्पत्ति, भाई-बहिन का सुख-दुःख, संतान का सुख-दु:ख, जीवनसाथी का सुख-दु:ख, माता-पिता का सुख-दुःख और स्वयं की आयु/मृत्यु अर्थात दुर्घटना आदि का फल जाना जा सकता है। – Horoscope by Date of Birth and Time
Future Horoscope by Date of Birth and Time
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10 Houses Name and Planets
First House प्रथम भाव (तनु भाव)
इसे लग्न, त्रिकोण और केन्द्र भाव भी कहते हैं। लग्नेश शुभ हो या अशुभ सदैव शुभ फल देता है। सूर्य इस भाव का कारक ग्रह है। शरीर, आकृति, रूप, रंग, स्वभाव, आचरण, बल, स्वास्थ्य, व्यक्तित्व, मान, प्रतिष्ठा, जाति, आयु, सुख-दु:ख, जीवनसाथी का व्यवसाय, दादी, नाना, सिर, मस्तक इस भाव के विचारणीय विषय हैं। – First House in Horoscope
Second House द्वितीय भाव (धनभाव)
इसका दूसरा नाम पणफर है। यह मारक भाव है। गुरु इस भाव का कारक ग्रह है। धनसम्पति, कुटुम्ब, मित्र, मृत्यु, क्रय-विक्रय, सत्य-असत्य, वाणी, विद्या, जीवनसाथी का सुख, संतति, भक्ति, नाक, दांया कान, दांयी आंख मुख्य विचारणीय विषय हैं।
Third House तृतीय भाव (सहज भाव)
इसे त्रिषड़ाय भी कहते हैं। यह एक शुभ भगव है किन्तु सदैव दोषी होता है। मंगल इस भाव का कारक ग्रह है। छोटे भाई बहिन, स्वयं का पराक्रम, धैर्य, आभूषण, नौकरचाकर, लघु यात्रायें, आयु, माता-पिता की मृत्यु, गुप्त शत्रु, धर्म, उपदेश, दमा, खाँसी, श्वास रोग विचारणीय विषय हैं।
Fourth House चतुर्थ भाव (सुखभाव)
यह केन्द्र भाव है। पापग्रह इसमें अच्छा फल देते हैं। चन्द्र और बुध इस भाव के कारक ग्रह हैं। मातृसुख, मातृभूमि, जमीन, मकान, वाहनसुख, पशुधन, गुप्तधन, मातृधन, यश, दया, शान्ति, जनसम्पर्क, नौकर-चाकर, खेतीबाड़ी, श्वसुर, नानी, उदररोग, कैन्सर प्रमुख विचारणीय विषय हैं।
Fifth House पंचम भाव (सुतभाव)
इसे त्रिकोण भाव भी कहते हैं। यह एक शुभ भाव है। आकस्मिक धन (लाटरी), विद्या, बदि, वाणी, यश, प्रतिष्ठा, यश प्रतिष्ठा, प्रेमविवाह, प्रथम संतान, नकिरी छूटना, पुस्तक लिखना, पिता का सख, मामा का सुख, गुप्तरोग, स्त्रियों के यकृत, गर्भाश्य संबंधी रोग इस भाव के विचारणीय विषय हैं। गरु इस भाव का कारक ग्रह है।
Sixth House षष्ठ भाव (रिपुभाव)
इस भाव को त्रिषडाय और दष्ट भाव भी कहते हैं। शुभ या अशुभ षष्ठेश अष्टम और द्वादश भाव को छोड़कर सभी भावों की हानि करता है। मंगल और शनि इस भाव के कारक ग्रह हैं। शत्रु, चिन्ता, रोग, भय, ऋण, बदनामी, घर-बाहर के झगड़े, मुकदमें, चोरी-डकैती, जय-पराजय, पत्रधन, भाइयों से मतभेद, मामा, मौसी, घाव, फोड़ेफुन्सी विचारणीय विषय हैं। – Free Horoscope by Date of Birth
Seventh House सप्तम भाव (जायाभाव)
इसे केन्द्र भाव भी कहते हैं। यह एक मारक भाव है। पुरुषों के लिये शुक्र और स्त्रियों के लिये गुरु इस भाव के कारक ग्रह हैं। जीवन साथी (पत्नी या पति) विवाह, विवाह संबंध, दाम्पत्य जीवन, चरित्र, रोजगार, व्यापार, साझेदारी, सुख-शान्ति, मृत्यु, जमीन द्वितीय संतान, नानी, दादा, बवासीर जैसे रोग मुख्य विचारणीय विषय हैं। – Astrology by Date of Birth For Marriage
Eighth House अष्टम भाव (मृत्यु भाव)
इसे दुष्ट भाव भी कहते हैं। अष्टमेश सभी भावों की हानि करता है। शनि इस भाव का कारक ग्रह है। आयु, जीवन, मृत्यु, प्रेम, बदनामी, पतन, सजा, दुर्घटना, गड़ाधन, समुद्रीयात्रा, वसीयत, बीमा, दरिद्रता, आलस्य, जीवनसाथी का भाग्य, गुप्त जनेन्द्रिय रोग प्रमुख विचारणीय विषय हैं। – Advance Astrology Charts
Nineth House नवमभाव ( धर्मभाव)
इसे भाग्य या त्रिकोण भाव भी कहते हैं। सूर्य और गुरु इस भाव के कारक ग्रह हैं। भाग्य, भक्ति, धर्म, कीर्ति, सन्यास, दान-पुण्य, प्रतिष्ठा, पिता का धन, सदाचार, व्यभिचार, लाभ, आयु, तीर्थ-यात्रा, विदेश यात्रा, पुत्र, पौत्र, भाभी, बहनोई, दोहता-दोहती मुख्य विचारणीय विषय हैं। – Horoscope Based on Date of Birth
Tenth House दशमभाव (कर्मभाव)
यह केन्द्र भाव भी है। सूर्य, गुरु, बुध, शनि इस भाव के कारक ग्रह हैं। पितृप्रेम, पितृधन, संचितकार्य, राज्यदण्ड, उच्चपद, अधिकार, नौकरी, व्यवसाय, वाहन, प्रतिष्ठा, वायुयात्रा, नेत्रत्वशक्ति, मंत्रीपद, सास, जानु, घुटने, पीठ रोग विचारणीय विषय। Free Career Horoscope by Date of Birth and Time
Eleventh House एकादश भाव (आयभाव)
विषडाय भी कहते हैं। एकादश भाव को अशुभ माना जाता है। किन्तु भाव स्थित – गह सदैव शुभ फल देते हैं। गुरु इस भाव का कारक ग्रह है। आय, लाभ,धन, लाटरी, पितृधन, राज्यद्रव्य, माता की मृत्यु, व्यापार से लाभ-हानि, चोट, हिंसा, शत्रु, द्वितीय जीवनसाथी, बड़ा भाई, चाचा, पुत्रवधू, दामाद, पैर व एड़ी का दर्द मुख्य विचारणीय विषय हैं। – Money Horoscope by Date of Birth
Twelveth House द्वादश भाव ( व्ययभाव)
ये दश भाव भी कहते हैं। शनि इस भाव का कारक ग्रह है। द्वादशेश सदैव ही मानहानि, धनहानि और अन्य दूसरे अनिष्ठ करता है। अपव्यय, धनहानि, गुप्तशत्रु, कोर्ट कचहरी, राजदण्ड, सजा, विदेश संबंध, शयन सुख में कमी, ऋण, हत्या, अात्महत्या, राज्यसम्मान-अपमान, बायीं आंख मुख्य विचारणीय विषय हैं। – Date of Birth Horoscope
Conclusion
In This Article, We Learn About Birth Chart Analysis, Horoscope by Date of Birth and Time, All Twelve Houses of Horoscope and Their Planets.
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